Sunday 6 April 2014

फूल होते ही हैं ऐसे

मुझे भाते हैं फूल सभी 
हर रंग में ,हर रूप में 
ये अक्सर दिलों का मौसम 
बदल खुशनुमा कर देते हैं !
झुण्ड मे खिले तो मन को 
 इंद्रधुनष बना  देते हैं 
  और गर खिले निर्जन वन में 
   स्वाभिमान  से भरे नजर आते हैं  !
  फूल अगर सूख  भी जाये 
   तो क्या महकना नहीं छोड़ते 
   नियति में तय है उनकी
   जब  तक रहना देना ही देना ! 


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