Sunday 24 April 2011

परिचित

यूँ तो परिचित मिलते कई हैं
कुछ प्राण हीन कुछ आस हींन
लेकिन देखा हे हर प्रीत मे
एक आस छिपी होती है
ज्यों पावन मंदिर मे बासी
फूलों की बास छिपी होती है

4 comments:

  1. हर वो इन्सान जो हमारी जिन्दगी मे आता हे उसकी कोई न कोई वजह जरुर होती है . यह बात और है की कुछ जिन्दगी को छू भर जाते हैं और कुछ हमेशा के लिए हमारे दिल मे बस जाते हैं.

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  2. Bahut sundar Bhawa. Pawan mandir me basi fulon ke mahak chipi rhati ha..

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  3. फूल रह जायेंगे गुलदान में यादों की नज़र,
    मैं "खुशबु" हूँ फिजाओं में बिखर जाऊँगा..!

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  4. bahut khub Raj ji aapki in 2 lines may kavita may char chand lega diye .

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