Sunday 15 July 2012

                                                 क्या यही जीवन हे




  सब कुछ पा लेने के बाद
 या सब कुछ खो देने के बाद
सब क्यों हो जाता हे एक समान
 महज एक शून्य ही नजर आता हे
जहाँ बार बार फिर तय  हे
एक नया सफ़र ,एक नयी शुरुआत
  शायद इसी  का नाम जीवन हे

13 comments:

  1. सुन्दर भाव अभिवयक्ति है आपकी इस रचना में,बहुत बहुत शुभकामनाएं ।


    http://madan-saxena.blogspot.in/
    http://mmsaxena.blogspot.in/
    http://madanmohansaxena.blogspot.in/

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  2. ♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
    ♥♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥
    ♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥



    सब कुछ पा लेने के बाद
    या सब कुछ खो देने के बाद
    सब क्यों हो जाता हे एक समान
    महज एक शून्य ही नजर आता हे
    जहाँ बार बार फिर तय हे
    एक नया सफ़र ,एक नयी शुरुआत

    शायद इसी का नाम जीवन हे

    हां , इसी का नाम जीवन हे !

    आदरणीया सुमन जी
    बहुत सुंदर और अर्थपूर्ण है आपकी कविता !!
    बधाई और आभार !
    आपकी लेखनी से सदैव सुंदर , सार्थक , श्रेष्ठ सृजन हो …

    ...लेकिन ब्लॉग पर रचना लगाए हुए बहुत समय हो गया है ...
    नई रचना की प्रतीक्षा रहेगी
    :)

    समस्त शुभकामनाओं सहित…
    राजेन्द्र स्वर्णकार
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    1. Nav varsh ki mangal kamnayen Rajendra swarnkar ji.

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  3. आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी यह रचना आज हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल(http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/) की बुधवारीय चर्चा में शामिल की गयी है। कृपया पधारें और अपने विचारों से हमें भी अवगत करायें।

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  4. यह बुधवारीय नहीं सोमवारीय है, त्रुटी के लिए क्षमा प्रार्थी।

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    1. Neeraj pal ji pichle Dino vayastata ke chalte blog per aana sambhav nahi hua. Protshan ke liye dil say aabhar . Naya varsh mangalmay ho.

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  5. जीवन यही तो है …। बहुत सुन्दर पंक्तियाँ

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    1. Upasna siag ji bahut bahut dhanyabadh. Happy new year.

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  6. वाह! वाह .
    सार्थक, संदेशात्मक... बहुत खुबसूरत...
    ईद एवं गणेश चतुर्थी की सादर बधाई...

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    1. Madan mohan Saxena ji aabhar. Nav varsh ki mangal kamnayen .

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  7. jindagi yehi hai. Ek sunnya .to fir kyo hai etni appa dhapi.kyo paresaanhai hum ??/////


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